सावन पुत्रदा एकादशी 2025: कल, मंगलवार को भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी। सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही जरूरी है सही समय पर इसका पारण करना। अगर आप भी इस व्रत को रखने जा रहे हैं, तो जान लीजिए पारण का शुभ मुहूर्त और सही विधि ताकि व्रत का पूरा फल मिल सके।
सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और पुण्य फल मिलता है। लेकिन, व्रत के नियमों के अनुसार, पूजा के साथ-साथ पारण का भी सही समय होता है। आइए जानते हैं कब और कैसे करें इस व्रत का पारण।
कब करें व्रत का पारण? जानें शुभ मुहूर्त
इस साल, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत पारण 6 अगस्त को होगा। व्रत तोड़ने का शुभ समय सुबह 05:45 बजे से 08:26 बजे तक रहेगा। इस दिन द्वादशी तिथि दोपहर 02:08 बजे समाप्त होगी।
व्रत पारण की सही विधि
व्रत का पारण करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें और उन्हें पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।
- प्रभु को पीला चंदन और पीले फूल अर्पित करें।
- मंदिर में घी का दीपक जलाएं और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
- पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
- भगवान को तुलसी के साथ भोग लगाएं।
- अंत में, हाथ जोड़कर व्रत पूर्ण होने का संकल्प लें और क्षमा प्रार्थना करें।
- इसके बाद, आप अपना व्रत खोल सकते हैं।
पारण के समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद ही करना चाहिए। पारण हमेशा द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले किया जाता है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाए तो भी पारण सूर्योदय के बाद ही करना चाहिए। हरि वासर के दौरान व्रत नहीं तोड़ना चाहिए, क्योंकि यह शुभ नहीं माना जाता। पारण का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है। अगर किसी कारणवश आप सुबह पारण नहीं कर पा रहे हैं, तो दोपहर के बाद पारण करना उचित माना जाता है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। विस्तृत जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।